
कहते हैं सुबह का भूला अगर शाम को घर लौट आए तो उसे भूला नहीं कहते, लेकिन इसके लिए सुबह भूलना जरूरी है और शाम को घर आना भी। मगर यहां माजरा जरा थोड़ा अलग है, वो शाम को घर तो लौटा, मगर सुबह भूला नहीं था। उसे याद था कि उसकी जमीन खिसक रही है, वो जब शाम को लौटा तब भी उसे याद था कि जमीन का खिसकना जारी है मगर इस बार उसके पास समाधान था। सियासी जमीन को बचाने के पेनकिलर बनीं किसानों की जमीन लेकिन उनके इस एक्शन में जरा टाइम लग गया।
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