Sunday, March 22, 2015

नाम निर्भया होने का मतलब ये नहीं होता कि उसे डर नहीं लगता, उसे दर्द नहीं होता,उसे फर्क नहीं पड़ता। दरअसल उसका सिर्फ नाम निर्भया था लेकिन डर उसके अंदर भी समाया था । दर्द उसे भी होता था, ये और बात है कि हम उस दर्द को नहीं समझ सकते । मामूली जुकाम होने पर भी हम डॉक्टर को याद करते हैं ताकि डॉक्टर आए और हमारी तकलीफ दूर करे, लेकिन उसकी तकलीफ दूर करने वाला कोई नहीं था। उसकी आवाज सुनने वाला कोई नहीं था।

यह अक्सर होता है हमारे यहां, जब किसी आवाज को सुने जाने की जरूरत होती है, तो कोई मौजूद नहीं होता उसे सुनने के लिए। लेकिन जब आवाज की उतनी महत्वता नहीं होती, तब हम जरूर पहुंच जाते हैं आवाज को न सिर्फ सुनने बल्कि पूरी दुनिया को सुनाने। कैमरा और माइक लेकर कार्यक्रम का नाम इंडियाज़ डॉटर रख देने से बड़ी पीड़ा हो रही थी न हमे। कुछ लोग तो ये भी कह रहे थे कि इस इंडियाज़ डॉटर को जब पूरी दुनिया देखेगी तो हमारी बेइज्जती अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होगी। लेकिन किसी ने ये नहीं सोचा कि जो सोच उस कार्यक्रम में दिखाई गई है वो कितनी खतरनाक है।

Photo Courtesy: www.mid-day.com

माना कि दुनिया देखेगी तो हम बेइज्जत होंगे लेकिन जब हम खुद देख रहे हैं तो हमारा इससे कौन सा नाम हो रहा है वकालत के दिग्गज माने जाते हैं वो जनाब और पूरी दुनिया के सामने कहते फिर रहे हैं कि भारत की संस्कृति महान है और इसमें महिलाओं के लिए कोई स्थान नहीं है। समझ नहीं आता कि आखिर ऐसे लोग वकालत के महाग्रंथ में अपना नाम दर्ज कैसे करवा लेते है। वो कहता है कि बलात्कार होने देती तो शायद बच जाती। हम उसे नहीं मारते ये है हमारी साख, हमारी इज्जत, हमारी सोच और इसे दुनिया देख न ले इसीलिए हम चाहते थे कि इंडियाज़ डॉटर पर बैन लगाया जाए।

दरअसल हम दुनिया से छुपाना चाहते हैं कि हम कितने पिछड़े हुए हैं। अगर ऐसा न होता तो हम उन लोगों को सजा देने से पहले एक पल भी न सोचते लेकिन क्या है कि हमारे यहां लोकतंत्र है न, मानवाधिकार आयोग है, हमारा फर्ज बनता है कि हम मानव के अधिकारों की रक्षा करें। फिर चाहे वो मानव किसी लड़की के शरीर के अंदर हाथ डालकर उसके शरीर की आंतें और मांस बाहर ही क्यों न निकाल ले। इससे फर्क नहीं पड़ता बस उसके अधिकारों की रक्षा होनी चाहिए।

पैसा चाहिए तो लक्ष्मी की पूजा करो, ज्ञान चाहिए तो सरस्वती की पूजा करो और शक्ति चाहिए तो दुर्गा की पूजा करो, लेकिन जब हवस हावी हो तो क्या लक्ष्मी, क्या सरस्वती और क्या दुर्गा। कुछ मत सोचो बस रात को सड़क पर निकल जाओ और जो भी लड़की दिखे उसे उठा लो और फिर उसके साथ जी भर कर खेलो। इसमें हमारी कोई गलती नहीं होगी हम तो पुरुष है लेकिन वो लड़की है उसे रात घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए था, गलती उसकी है हमने उस भेड़ियों की तरह काट खाया लेकिन गलती उसकी है, हमने उसकी आंतें बाहर निकाल दी, लेकिन गलती उसकी है, हमने उसके पूरे शरीर को छलनी कर डाला लेकिन गलती उसकी है....

दरअसल गलती हमारी है...कि हम पैदा हुए...गलती हमारी है कि हम गंवार है....गलती हमारी है कि हम आजाद है...गलती हमारी है कि हम...जिंदा है.....



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Dharm Prakash

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